Touching Lesson from life of Ram-Sita is an important lesson to make your life happy & peaceful.
Friends, today I am going to tell you the lesson from the life story of Ram and Sita.
There is an anecdote in their story –
Hearing the words of a washerman and strictly following self-laws, Ram abandoned Sita. Sita stayed in the sage Valmiki’s ashram in the forest and later she eradicated in the earth. Then she never had come back in Rama’s life. Rama had to live his life alone.
Lesson: If someone in your life, come to love you extremely, come to understand you, come to support you, to take care of you, then for that loved person change your laws & remove those from out of life who give pain to them & do not understand them, but not such loved persons. Because once such people leave, they do not come again in life. Take care of such loved persons.
Sita suffered a lot for Ram, she supported Rama in all circumstances, yet Rama came in the words of a washerman and abandoned her. Neither was the washerman ever come in used in his life nor did he ever find his wife who loved him very much.
Ram himself also lived in pain and gave pain to Sita to whom he loved extremely.
Did this matter to the washerman? No. He had done his work.
Keep such washermen, such laws away from the lives of yourself and your loved ones. Do not destroy your life and happiness.
Divine incarnation gives messages to people from their own lives, what should be done, and whatnot. Understand this and adopt it into your life. Your life will be happy and peaceful.
Hindi
दोस्तों, आज आपको राम और सीता के जीवन कहानी की एक सीख बताने जा रही हुं।
उनकी कहानी में एक किस्सा है –
एक धोबी की बाते सुनकर अपने उसुलों पे चलने वाले राम ने सीता का त्याग किया। सीता वनमें ऋषी वाल्मीकि के आश्रम में रही और वहीं से धरती में समा गई। फीर कभी वे राम के जीवन में वापस नहीं आई। राम को अपना जीवन अकेले ही जीना पड़ा।
सीख: आपके जीवन में कोई आपसे बेहद प्यार करने वाला आए, आपको समजने वाला आए, आपको साथ देनेवाला आए, आपको संभालनेवाला आए तो उसके लिए अपने उसुल बदलों, उनको दर्द देनेवाले, न समजने वालों का त्याग करों पर ऐसे तुम पर जान लुटाने वालों का नहीं। क्योंकि ऐसे लोग एक बार चले गए तो दोबारा नहीं मीलते। उनको संभाल कर रखो।
राम के लिए सीता ने क्या कुछ न सहा, उसने राम को हर परिस्थिती में साथ दिया फिरभी राम ने धोबी की बातों में आकर उसका त्याग किया। न उसको धोबी कभी अपने जीवन में काम आया ना उसने कभी अपने से बेहद प्यार करने वाली पत्नी को वापस पाया।
राम खुदभी दर्द में जीए और सीता को भी दर्द दिया जिसे वे भी बेहद चाहते थे।
इस बात से धोबी को कुछ फर्क पड़ा? नहीं। उसने अपना काम कर दिया।
ऐसे धोबी को, ऐसे उसुलों को अपने और अपनों के जीवन से दुर रखिए। अपने जीवन को और खुशी को नष्ट न करें।
ईश्वरिय अवतार लोगों को अपने जीवन से ही संदेशा देते है क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इसे समझो और अपने जीवन में उतारों। आपका जिवन अवश्य सुखमय और शांति प्रिय होगा।
Good observation