Frogs’ Competition

Frogs’ Competition

Frogs' Competition is a short interesting moral story teaching one of the life lessons. Moral Stories help in building a good personal and professional life. It helps to eliminate problems. One must read Moral Stories.

Once upon a time, there was a bet between a group of frogs to climb a tall pillar. There was also a big funny prize for the winner. A large number of frogs gather to see this competition and to increase the enthusiasm of the participating contestants.
The competition began. Truth is no one believed that a tiny frog could reach the top of this very high pillar.
The following statements were heard among the crowd:
“Oh! It’s a steep climb!”
“They will never reach the top”
“No one is likely to reach the top of the pillar!”
One by one the little frogs began to fall. Except for some who were busy climbing higher and higher without looking down at enthusiasm.
The mob continued their negative statements, “This is very difficult! No one will win. “
Even the rest of the frogs that climbed high got tired and fell down. But a frog was still moving high and high. He did not give up.
Eventually, the frog reached the top and won the competition. All the frogs wondered how this frog won such a tough competition. They wanted to know where he got the strength to achieve his goal. And finally found out that the winning frog was deaf!
He could not hear the negative words of the other frogs.
So, they had no effect on him and he won.
The other frogs were affected and lost the thought.

Lesson from the story Frogs’ Competition:
Never succumb to the pessimistic or negative attitude of others because such people rob you of your dreams and beautiful ambitions. Shatters the aspirations of your heart. Words have a lot of power. Everything you read or hear has a direct effect on your work. That’s why always cultivate a positive attitude and become deaf when someone speaks negative words.

मेंढकों की प्रतियोगिता

मेंढक की प्रतियोगिता एक छोटी रोचक नैतिक कहानी है जो जीवन का एक पाठ पढ़ाती है।
नैतिक कहानियां एक अच्छे व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन के निर्माण में मदद करती हैं। यह समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। नैतिक कहानियाँ अवश्य पढ़नी चाहिए।

एक बार एक ऊँचे खंभे पर चढ़ने के लिए मेंढकों के एक समूह के बीच एक शर्त थी। विजेता के लिए एक बड़ा मजेदार पुरस्कार भी था। इस प्रतियोगिता को देखने और भाग लेने वाले प्रतियोगियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में मेंढक उमड़ पड़े।
प्रतियोगिता शुरू हुई। सच कहा जाए तो किसी को विश्वास नहीं होता था कि एक नन्हा मेंढक इस बेहद ऊँचे स्तम्भ की चोटी तक पहुँच सकता है।
भीड़ के बीच निम्नलिखित कथन सुने गए:
“ओह! यह एक खड़ी चढ़ाई है! ”
“वे कभी शीर्ष पर नहीं पहुंचेंगे”

“खंभे के शीर्ष तक किसी के पहुंचने की संभावना नहीं है!”
एक-एक कर छोटे मेंढक गिरने लगे। कुछ को छोड़कर, जो नीचे उत्साह को देखे बिना ऊँचे और ऊँचे चढ़ने में व्यस्त थे।
भीड़ ने अपने नकारात्मक बयान जारी रखे, “यह बहुत मुश्किल है! कोई नहीं जीतेगा।”
यहां तक कि ऊंचे चढ़ने वाले बाकी मेंढक भी थक कर नीचे गिर गए। लेकिन एक मेंढक अभी भी ऊँचा और ऊँचा चढ़ रहा था। उसने हार नहीं मानी।

आखिरकार मेंढक शीर्ष पर पहुंच गया और प्रतियोगिता जीत ली। सभी मेंढक हैरान थे कि इस मेंढक ने इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा कैसे जीती। वे जानना चाहते थे कि उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ताकत कहां से मिली। और अंत में पता चला कि जीतने वाला मेंढक बहरा था!
वह अन्य मेंढकों के नकारात्मक शब्द नहीं सुन सका।
इसलिए उनका उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह जीत गया।
अन्य मेंढक प्रभावित हुए और अपने विचार खो दिए।

सीख:
कभी भी दूसरों के निराशावादी या नकारात्मक रवैये के आगे न झुकें क्योंकि ऐसे लोग आपसे आपके सपने और खूबसूरत महत्वाकांक्षाएं छीन लेते हैं। दिल की ख्वाहिशों को चकनाचूर कर देता है। शब्दों में बहुत शक्ति होती है। आप जो कुछ भी पढ़ते या सुनते हैं उसका सीधा असर आपके काम पर पड़ता है। इसलिए हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाएं और जब कोई नकारात्मक शब्द बोले तो बहरे हो जाएं।

6 thoughts on “Frogs’ Competition”

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